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Toggleमां भगवती मंदिर, लेम्बोईयां पत्थलगड़ा
चतरा जिले के पत्थलगड़ा प्रखंड में स्थित है मां भगवती मंदिर। यह तीर्थ स्थल अति प्राचीन है, यहां मां दक्षिणेश्वरी देवी चामुंडा की अति प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। मां की प्रतिमा आठवीं से दसवीं शताब्दी की बताई जाती है इस मंदिर की खोज यहां के चरवाहों ने की थी। तब से लेकर आज तक मां की पूजा अर्चना की जा रही है यहां नवरात्र के मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु मां भगवती मंदिर लेम्बोईयां पहाड़ी पर मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। माता का मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है चारो और घने जंगल ऊंचे ऊंचे पेड़, पंछियों की चहचहाहट से वातावरण गूंजती रहती है। मंदिर परिसर पहुंचने पर आपको अपार शांति का अनुभव होता है, जहां जीवन की सारी दुःख को भुलाकर मां भगवती की भक्ति में लीन हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है की मां भगवती से जो भी श्रद्धालु सच्चे दिल से कुछ भी मानते मांगते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है यही कारण है कि यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर में मां भगवती की प्रचंड मुद्रा में भव्य और दुर्लभ काले पत्थरों से बनी मां की प्रतिमा है माता भगवती की प्रतिमा आठवीं से दसवीं शताब्दी की है। पहले यहां माता की एक प्राचीन मंदिर थी लेकिन अभी ग्रामीणों द्वारा भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है जो देखने से ऐसा लगता है मानो सोना से पूरे मंदिर को बनाया गया है। मंदिर के चारों ओर विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमा बनाई गई है जो जीवन्त प्रतीत होती है। यहां के स्थानीय ग्रामीण मां भगवती को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं मां की प्रतिमा को कई बार चोरी करने का प्रयास किया गया लेकिन मां भगवती की प्रतिमा को आज तक कोई नहीं ले जा सका।
यह मंदिर दक्षिण मुखी मंदिर है यानी मंदिर का द्वार दक्षिण दिशा की ओर है।
सोने व चांदी के नेत्र चढ़ाने की परंपरा – मंदिर में सोने व चांदी के नेत्र चढ़ाने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है आज भी लोग अपनी मन्नते पूरी होने पर मां भगवती को सोने व चांदी के नेत्र चढ़ाते हैं।
सिद्ध पीठ – मां दक्षिणेश्वरी चामुंडा मंदिर एक सिद्ध पीठ के रूप में चर्चित है ऐसी मान्यता है कि लेम्बोईयां पहाड़ी पर मां देवी सती की वाम नेत्र की पलकें गिरी थी इसीलिए यह एक सिद्ध पीठ कहलाया। कालांतर में यह क्षेत्र तंत्र क्रिया के लिए प्रसिद्ध रहा था।
मां भगवती की प्रतिमा – मां की प्रतिमा रण क्षेत्र में युद्ध करते हुए प्रचंड मुद्रा में भव्य और दिव्य काले पत्थरों से निर्मित है। मां दक्षिणेश्वरी चामुंडा की प्रतिमा में तीन मस्तक और सात नेत्र हैं मंदिर में मां की पूजा वैष्णव विधि से की जाती है सुबह शाम यहां मां की आराधना की जाती है।
मंदिर दर्शन का समय – मंदिर सुबह 6:00 बजे से दोपहर 1:00 तक और 1:00 से लेकर संध्या 3:00 बजे तक खुला रहता है।
राज परिवार – प्राचीन काल में रामगढ़ राज्य के राज परिवार यहां नवरात्र करते थे पद्मा राजा कामाख्या नारायण सिंह पूरे परिवार संग पहुंचकर नवरात्र की पूजा अर्चना मां के मंदिर में करते थे।
अन्य मंदिर – मंदिर प्रांगण में हीं मां सरस्वती,गणेश, माता दुर्गा एवं बौद्ध कालीन प्रतिमाएं स्थापित है।
बजरंगबली का मंदिर – मुख्य मंदिर के दक्षिण की ओर श्री राम भक्त हनुमानजी की एक भव्य मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर के अलावे यहां भैरवनाथ स्थान, नर्मदेश्वर मंदिर बना हुआ है।
भोजपत्र का पेड़ – मंदिर प्रांगण में भोजपत्र का एक विशाल और भव्य पेड़ भी है।
लेम्बोईयां पहाड़ी के बगल में हीं तुलसी पिंडा, भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा और फुलवारी भी बनाया गया है यहां एक प्राचीन कुआं भी है।
दुकान – पहाड़ी पर अनेक दुकानें हैं जहां पूजा अर्चना करने की सभी सामग्री उपलब्ध है।
मंदिर तक कैसे पहुंचे -सड़क मार्ग – मां दक्षिणेश्वरी चामुंडा देवी की मंदिर हजारीबाग पत्थलगड्डा मार्ग पर स्थित है। चतरा जिला मुख्यालय से मंदिर की दूरी 26 किलोमीटर, गिद्धौर से 10 किलोमीटर, हजारीबाग से 40 किलोमीटर, चौपारण से 50 किलोमीटर, राज्य की राजधानी रांची से 125 किलोमीटर , दिल्ली से 1075 किलोमीटर तथा कोलकाता से 429 किलोमीटर मंदिर की दूरी है। मंदिर तक आप सड़क मार्ग से हीं आ सकते हैं।
रेलवे स्टेशन – निकटतम रेलवे स्टेशन कटकमसांडी रेलवे स्टेशन तथा हजारीबाग रेलवे स्टेशन है।
हवाई अड्डा – मंदिर से निकटतम हवाई अड्डा बिरसा मुंडा हवाई अड्डा रांची व गया हवाई अड्डा है।