भीमा कहानी / Bhima kahani

भीमा

अघन महिना ! खेतेक धान पुरा पाकल नखय। बेचारा छुटुवा आध पाकल धान काइट के धानेक बोझा मुडे लइके हंसुआ डांडाइ खोंइस के आव – हलइ। गांवेक मुंडाइ पांडे बाबाक दुवाइरें भीड़ देइख के ठहइर गेल। भीडेक एक झनेक पुछल तो मालुम भेल कि पांडेयक बेटी, जकर बिहा ई बछरे भेल हलइ, ऊं विधवा भइ गेली। दामाद के आतंकबादी माइर देला। छुटुआक मुंह से झट ले बाहराइल –
काहे ! पांडे बाबा बेटी – दामादेक जनम पतरीका गना – पढ़ा बेस तरी नाय करल हलथिन की…… ? एतना कहइत ऊ उहां से घसइक गेल।
तनी देर बाद हामिन काका – भतिजा पलटुक दोकाने चाय पिये गेलिये तो भतिजा कहल-
काका आज छुटुआक बेबहार हामर बेस नाय लागल। बिपतिक घड़ी उरकम ककरो नाय कहेक चाही। ओहे ठिन निरू दा चाय पिय हलय सुनइके तपाक से कहल – भितरेक माइर सहजुवांइ जाइन रे नुनु। तोय की जानबें? सबुर करबें तो एगो कहनी सुनइबउ, तो बुझे पारबें

चाय पीने के बाद नीरू दा सुनाने लगे।
गांवेक नाम कानकाटा । ऊ गांवे एगो नोवा हलइ। नोवाक बहू पढ़ल लिखल हली। आपन गीदर भीमा के पढ़वे खातिर जनी – मरद खूब मेहनत कर हला। भीमा मैट्रिक परीक्षा पास करल एक नंबर, विभागे प्रादेसेक टॉप। गांवेक आरो जते छ उवा गुला पास करल हवा, सभिन मिठाई बांटे लागला आर कोन कॉलेज पढ़ाई करता ओकर चर्चा करे लागला। भीम बेसिक नंबर से पास किया है लेकिन वह कॉलेज नहीं पढ पायेगा से खातिर मनगुमाने बैठल है।
की रे भीमा! तोहूं पास करलें नाकी रे?
राय बाबू हुक्का पिते हुए जा रहे थे तभी भीमा को पूछे। तो बीमा तनी खुशी सूर में कहा।

हां काका फर्स्ट डिवीजन में हाम्हीं एक झन पास करल हों गांवे।

हां रे बेटा फर्स्ट डिवीजन चाहे कौनहो डिवीजन से पास करें, तोरा तो हजामते ने बनवे परतव राय बाबू इतना कह के मुंह बिचकाते हुए चले गए।
घर जाकर भीमा अपना मां से कहने लगा।
“माय हामे मामुक ठिन खबर दिये जाइब “।
मां बोली ठीक है खाना खाकर चले जाना। राय बाबू के नियत से भीमा बहुत दुखी हुआ, इसीलिए वह मामू के पास चला गया।

भीमा के मामू कोयला खदान में काम करता था। रविवार को साहब सबके बाल दाढ़ी भी बनाता था। भइगना कॉलेज नहीं पढेगा इसलिए साहब के विनती करके भीमा के काम लगा दिया। भीमा काम करने लगा। प्रत्येक महीना बाप के नाम से पैसा भेजने लगा और एक घर बनाया। सुखी से रहने लगा । लेकिन वह गांव में दो चार ठो बदमाश आदमी था। जो दूसरे के तरक्की देखना नहीं चाहते थे।
ऊ सभेक नजइरें गड़े लागल, लागला असांती करे। कधियो गोरु छागर के हुरसा तो कभी छुआ-छुइतेख निंगसा। भीमा आर भीमाक माय ई सब बातेक धेयान नाय दे हला। उखिन जान हला जे करिया कोउवा कभी ऊजर हंस नाय होवे पारे। भीमा हिसाब से नौकरी के पैसा खर्च करता था। कुछ पैसा बचा के घर भेजता था मां-बाप के सेवा और छोठ भाई के पढ़ाना चाह रहा था। लेकिन जिस गांव में बदमाश लोग रहे वहां के लोगों को चैन कहां? गांव के धनी मनी दबंग भटचारी बाबा और गुमनमुहा मानुष सब फुसुर- फुसुर करने लगे। भाटछारी बाबा के मकर जल बहुत मजबूत और फाइनल इनका मकड़जाल एजेंट ओझा, सोखा और भगत थे। इस गांव में डॉक्टर से ज्यादा ओझा के मान ज्यादा था। किसी को अगर तबीयत खराब होता तो सबसे पहले ओझा के पास भेजा जाता था और वहां झाड फूक होता था। ओझा जो बीमारी बताता था वो है, नजर लगना, काली साया,डायन,भूत, प्रेत, बरहम दइत, कुदरी भूत, चोर भूत,……। जो झाड़ फूंक से ठीक नहीं होता था वह भेजा जाता था सोखा के पास। फिर रेफर होता भगत पास भगत माने जिनखर गातें देवी मइया, भगवती मइया, बजरंगबली, काली मइया।
एक बार मगनाक खेत में भीमा घर के बकरी ढुक गया। इसीलिए मगनाक पत्नी और भीमाक माय के साथ लड़ाई हुआ। 2 दिन के बाद मगनाक बैटाक माथा दर्द करने लगा। इसलिए झाड़ फूक करने के लिए ओझा आया। झाड़ फूंक करने के बाद भी बुखार कम नहीं हुआ। मगना गेलइ मंदिरेक बाबा ठिन मानता करे। बाबा चार अगरबत्ती, फूल आने कहला, मगना सब जुटाया। बाबा पूजा करने के बाद कहे जाओ यह फूल बच्चा के माथे में छुआ देना। माता की कृपा तुम्हारा बच्चा के ऊपर होगा और वह एकदम ठीक हो जाएगा।
मगन मंदिर से घर जा हाल की कांदा काठा सुने पाइल। कुइद के घर जाएके देखल बच्चा मर गया । मगनक घर सोकेक लहर।मंदिर बाबा के चले लागल दिमागी चक्कर । मगनक घर जाएके दुख प्रकट करला फिर क
गरजे लागला।
“एगो खड़ी आन आर तनि सइरसा।”

बाबा माटिक उपर कुछ लिखला, उटाक उपर बेसार फेंकला।

मगना तोर गिदर बुखारे ना मोरल हाव। डायन एकर करेजवा खाए गैल हाव।
“के लागइ बाबा? कोन साली डायनें अइसन करली? तनि बतवा तो । मगनाक पेटेक अघन उबके लागल।
भोग चढ़ा के मगना बाबा के बात मान के सोखा पास गया। सिखवल सोखा नाम लिया भीमा के माई के। आर मुरारी के बांसी बइज गेल गोटेगांव । चालबाज चले लागल चाइल पंचायतेक विचार भीमा माई के डायन साबित कर देला।
बाह रे गांव! बाह रे गांवेक बिचार! भीम के घर पास भीड़ लग गया । सभी कहने लगे भीमाक माय डायन लागे, भीमाक माय डायन लागे। एकरा मयला पियावा । बहरो साली……। भीमाक माय हायकाठ। घारेक भीतर ढुकली आर केंवाइर बंद कइर देली। भीमा के बाप हाथ जोड़े लागल , बिनती करे लागल, मेतुक निठुरेक दल भीमाक बापेक धकल के गिराय देला। केवाड तोर देल । सभिन देखला, भीमाक माय फांसी लगाइ के आपन जान देइ देली।

खबर पाक भीमा गांव आया माय के किरिया करम करके पिता के हाथ में कुछ पैसा देकर फिर वह काम पर चला गया।
दुष्ट लोग हंसने लगे और कहने लगे- साला नोवा! बड़ी बाढ़ – हलइ हो।
इसका परिणाम 10 साल बाद दिखने लगा। 10 साल बाद इस क्षेत्र में डकैती लूटमार फैल गया जो कभी रुका नहीं। पांडे बाबाक दामाद के हत्या के वही हिस्सा है। के जाने आर कते दिन चलतइ ई आंधी।कते दिन गहुमेक संग घुन पिसइतई, आज उगरबादी आगे कते निरदोस मोर हथिन, देसेक बिकास रूक जा हइ, मेतुक एकर में उगरबादी के कटको दोस नाय। उगरबादीक जन्म देवे वाला, रूढ़ी समाज, पुलिस आर परसासन। सबसे बेसी उपर वाला दोसी संचालक,सासक, नेता। अनपढ़ बाहुबली नेता माने उगरबादीक जनमदाता।

निरू दा कहल – ए रे नुनु छुटुआ लागे ओहे भीमाक बाप। बेचारा आपन माटी खटे हे आर पेट भरे हे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *